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सोमवार, 30 जून 2014

अहसास



यूँ बारिश में भीगना 

चहरे पर रिमझिम बूंदों का गिरना
ठन्डे-ठन्डे अहसास में
जब तुम प्यार से बुलाते हो
सालसा के डांस पर 
पुराने गीत गुनगुनाते हो
" आज फिर तुमपे प्यार आया है
बेहद और बेहिसाब आया है "
चार पंक्ति के गीत 
और सालसा के चार फेरों में 
जब तुम्हारा रोमांस ख़त्म हो जाता है
डर में मुस्कराहट घोलकर
कॉफी की मांग करते हो
सच पूछो तो बड़े भोले से लगते हो
ठंडी बयार , भीगा सा मौसम
और गरमागरम कॉफी के साथ
जब तुम कहानीयाँ सुनाते हो
एक अलग ही सपनों की 
दुनिया में ले जाते हो
गाल पर हाथ धर
शून्य में देखते हुए 
कॉफी की चुस्कियां लेते हो
सच पूछो तो बड़े भोले से लगते हो










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