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सोमवार, 30 सितंबर 2013

Khyalo ke Badal खयालों के बादल





खयालों के बादल
उमड़ - घुमड़ नाचते है मेरे आसपास
वो खयालों के बादल ........
बरसने से पहले जैसे बदलते है रंग बादल
आकाश में विचरते है यहाँ से वहाँ .......
फिर एक रंग और तेज रिमझिम फुहार
ऐसे ही है मेरे खयालों के बादल भी ........
विचरते है सोच की आकाश गंगा में
और जब भर आता है उनका मन .........
फिर बरस पड़ते है मेरे खयालों के बादल भी
कोरे कागज पर..........
भिगो देते है मेरे मन को अपनी भावना से ,,,,,,
इस भीगे मन से मै भी सींचने लगती हूँ
एक नई सृजन की फसल...



23 टिप्‍पणियां:

  1. सृजन की नई फसल सींचने का यह उपक्रम ऐसे ही चला करे, सुन्‍दर।

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  2. विचरते है सोच की आकाश गंगा में
    और जब भर आता है उनका मन .........
    फिर बरस पड़ते है मेरे खयालों के बादल भी
    बहुत सुंदर .

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  3. ख्यालो के बादल ,बस यूँ ही बरसते रहे |
    श्रृष्टि हरि भरी हों,मन हर्षाते रहे |
    -डॉ अजय |
    “अजेय-असीम{Unlimited Potential}”

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  4. नमस्कार आपकी यह प्रस्तुति आज मंगलवार (01-10-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह बहुत सुन्दर सृजन रीना जी ..

    जवाब देंहटाएं
  6. ऐसे ही होते हैं ये बादल ... कहां भ्रमण कर आते हैं पल भर में ... भावपूर्ण रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  7. सोच की आकाशगंगा में विचारों के बादलों का विचरण बहुत सुंदर बन पड़ा है

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर सृजन ,सुन्दर शब्द चयन !
    नवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
    नई पोस्ट साधू या शैतान

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  9. ख्यालों के बादल ऐसे ही है..कब घुमड़ आये कुछ पता ही नहीं होता।।।

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  10. बहुत ही बढ़िया,सुंदर भावपूर्ण रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  11. भिगो देते है मेरे मन को अपनी भावना से ,,,,,,
    इस भीगे मन से मै भी सींचने लगती हूँ
    ........दिल चाहता है ,... क्या बात है !!

    बहुत ही प्यारी रचना है रीना जी ..

    जवाब देंहटाएं
  12. आपने लिखा....हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें; ...इसलिए आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {रविवार} 06/10/2013 को इक नई दुनिया बनानी है अभी..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल – अंकः018 पर लिंक की गयी है। कृपया आप भी पधारें और फॉलो कर उत्साह बढ़ाएँ | सादर ....ललित चाहार

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