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रविवार, 4 नवंबर 2012

Usaki Duri Ka Ye Ahsa Khalata Bahut Hai उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है


 उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
उससे मिलने की तमन्ना दिल करता बहुत है...

तस्वीरों में देखती हूँ उसे इसके - उसके साथ
अपनी तस्वीर में उसे सजाऊँ ऐसी हसरत भी बहुत है...

दिवार - ए - जात हमारे मोहब्बत के दरमियाँ खड़ी है
दरख्तों के साए में खुद को छुपाऊँ जी करता बहुत है...

उसकी इबादत - ए- मोहब्बत इस कदर भा गयी है मुझे
की उसको पाने की खातिर दील मचलता बहुत है...

खोकर उसको जीना ये मुमकिन नहीं रीना
उसको खोने के डर से ही ये दील सहमता बहुत है...

उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
उससे मिलने की तमन्ना दिल करता बहुत है...



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