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रविवार, 8 जनवरी 2012

Na Jao Tum Abki Bar ना जाओ तुम अबकी बार



आज कह दूंगी सारी बात 
बता दूंगी अपने सारे जज्बात 
दिखा दूंगी वो सारी याद 
जो उनके ना होने पर 
थे मेरे तन्हाई के साथ 
फिर करुँगी एक फरियाद 
की ना जाओ तुम अबकी बार 
की ना जाओ तुम,,
कब तक रह पाऊँगी तुम्हारी यादो के साथ 
तुम्हारी कही उन अधूरी बातो के साथ
उन बातो के पूरा होने के इंतज़ार के साथ 
जब तुम्हारा आना होता है तो
वो अधूरी बाते पुरानी हो जाती है
फिर एक दौर नयी शुरुवात की
फिर उसमे एक अधूरी बात
कैसे पूरी होंगी वो अधूरी बातें
रुक जाओ तुम इसबार 
फिर करती हुं एक फरियाद 
की ना जाओ तुम अबकी बार ....


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