शुभ वंदन करे हम हे गणराज ...
शुभता ही शुभता ले आओ
आप हम सबके द्वार...
मंगलमय हो नववर्ष सभी का
दो ऐसा वरदान....
तन मन शुद्ध हो सभी का
रोगों का हो विनाश...
शुभकामना ये मेरी है
मंगलमय हो सब संसार
शिक्षा ,उन्नति,प्रगति मिले
मिले सभी को ढ़ेर सारा ज्ञान ....
पाप दूर हो सभी के मन से
सभी रहे प्यार से
रखे एक-दूजे का मान...
शुभ वंदन करे हम हे गणराज ...
शुभता ही शुभता ले आओ
आप हम सबके द्वार...
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सोमवार, 31 दिसंबर 2012
Nav Varsh ki shubhkamnayen नववर्ष की शुभकामनाएँ...
शनिवार, 22 दिसंबर 2012
Ek Boond Ishq एक बूंद इश्क
होंठो की खामोशी ने पलकों के
भीतर आँखों के कोर में
एक बूंद इश्क बना दिया .....
आँखों को ठंडक देते उस
एक बूंद इश्क ने सब कुछ
धुंधला सा कर दिया .....
उस धुंधलपन को साफ करने के लिए
जैसे ही पलकें झपकाई ...
वो एक बूंद इश्क आँखों से बहकर
गालों पर से ढुलकते हुए
धीरे से ना जाने कहाँ खो गया.......
जहाँ से वो एक बूंद इश्क गुजरा
वहां अब सिर्फ एक गीलेपन की रेखा है
कुछ वक्त में वो भी सुख जाएगी...
फिर उदास चेहरे ......
बुझे मन....
ठंडी आँखोंवाले चेहरे पर रह जाएगी
एक दिखावटी मुस्कान.....
अपने अपनों के लिए....
और मन में एक आस...
प्रेमसागर को पाने की... |
शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012
Sanwali Bitiya .....साँवली बिटिया .....
रंग सांवला बिटिया का
कैसे ब्याह रचाऊँगा
बेटे जो होते सांवले...
शिव और कृष्णा उन्हें बनाता
बेटी को क्या उपमा दिलाऊंगा ....
पढ़ी लिखी संस्कारी है वो
गुणों से सुसज्जित न्यारी है वो
मेरी तो राजदुलारी है वो
पर अपने रंग से थोड़ा सा लजाई है वो .......
गोरा तो गोरी ही चाहे
काले को भी गोरी ही मनभाए
सांवल किसी को क्यूँ ना सुहाए
प्रेम का रंग क्यूँ कोई देख ना पाए ......
वो भी सृजन है देवों का
करुणा , ममता उसमे भी है
घर की लक्ष्मी भी बन दिखाएगी वो
ग़र समझो उसे की वो अपनी है....
सांवली है पर संध्या है वो..
भोर की पहली सांवली बदरिया है वो
मेरी तो राजदुलारी है वो
सांवल है तो क्या??
बिटिया बड़ी ही प्यारी है वो......
पढ़ी लिखी संस्कारी है वो
गुणों से सुसज्जित न्यारी है वो ......
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कैसे ब्याह रचाऊँगा
बेटे जो होते सांवले...
शिव और कृष्णा उन्हें बनाता
बेटी को क्या उपमा दिलाऊंगा ....
पढ़ी लिखी संस्कारी है वो
गुणों से सुसज्जित न्यारी है वो
मेरी तो राजदुलारी है वो
पर अपने रंग से थोड़ा सा लजाई है वो .......
गोरा तो गोरी ही चाहे
काले को भी गोरी ही मनभाए
सांवल किसी को क्यूँ ना सुहाए
प्रेम का रंग क्यूँ कोई देख ना पाए ......
वो भी सृजन है देवों का
करुणा , ममता उसमे भी है
घर की लक्ष्मी भी बन दिखाएगी वो
ग़र समझो उसे की वो अपनी है....
सांवली है पर संध्या है वो..
भोर की पहली सांवली बदरिया है वो
मेरी तो राजदुलारी है वो
सांवल है तो क्या??
बिटिया बड़ी ही प्यारी है वो......
पढ़ी लिखी संस्कारी है वो
गुणों से सुसज्जित न्यारी है वो ......
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शनिवार, 8 दिसंबर 2012
Hichakiyan * हिचकियाँ *
तुमसे दूर हूँ कुछ मजबूर हूँ
ना ई - मेल,, ना मेसेज ...
तुमने मना जो किया है
कैसे तुम्हें याद दिलाऊँ
की तुम्हारी बहुत याद आती है
सबसे सुना है की ,,
किसी को याद करो तो
उसे हिचकियाँ आतीं है...
मै भी तुम्हें याद करती हूँ..
बहुत ज्यादा ...
क्या पता मेरे यादों की हिचकियाँ
तुम्हारे दिल को हिलाती हैं या नहीं
शायद।। हिलाती भी हों
पर लोग ये भी तो कहतें है,,
की हिचकियों को ख़त्म करने के लिए
एक ग्लास पानी काफी है
क्या तुम भी मेरी यादों की गर्माहट को
एक ग्लास पानी से ठंडा कर देते हो
हाँ।। शायद ऐसा ही है
तभी तो नहीं आया अब तक
तुम्हारी तरफ से कोई जवाब...
रविवार, 2 दिसंबर 2012
darkhwast ** दरख्वास्त **
चुपके - चुपके यूँ ना जला
आजा अब सामने भी आ ....
खिंजे- खिंजे से ये तेरे मिजाज क्यों है
हमसे कोई गीला हुई है तो बता ....
नजरबंद कर रखा है खुद को क्यूँ ए शोख हँसी
हमारी नजर से खुद को यूँ ना छुपा ...
देखने दे जी भर के तेरे सुर्ख होंठो की लाली
होंठो को यूँ होंठो से ना दबा ...
ख्वाब जो सजाएँ हैं तूने अपने पलकों की छाँव में
उन ख्वाबों में मुझे भी सजा ...
छोड़ दे ये बेरुखी , ए संगदिल ए हमदम
मै हूँ दिया मेरी ज्योत तू बन जा...
यूँ मेहरूम ना कर अपने इश्क से मुझे
दरख्वास्त है मेरी तुझसे अब मान भी जा...
चुपके - चुपके यूँ ना जला आजा अब सामने भी आ ...
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