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सोमवार, 28 नवंबर 2011

Usaka Ahsas उसका अहसास



सूरज की पहली किरण के साथ जब उसका चेहरा दिख जाये...
मन के गलियारे में रोशनी छा जाये .


भीगी केशुवो को जब वो लहराए ,
उसकी हर बूंद ,,,ओस की बूंद की तरह धरा को भिगाए.


होंठो से बोले तो यू लगे की ,, कोई गुलाब की पंखुड़ी बिखर जाये
सुनी डगर को मेरी फूलो से सजाये


पलकें झुकाए कभी पलकें उठाये
कभी अँधेरा तो कभी सारा जग रोशनी से भर जाये


उसके मुस्कुराने से जग रोशन हो जाये
मुस्कुराती है जब वो तो मेरा रोम रोम खिल जाये


कह दुंगा अब उससे जो अब तक ना कह पाया
फिर चाहे मना करे या मान जाये...
चाहे हसे या मुस्कुराये ....









रविवार, 13 नवंबर 2011

Bal Diwas बालदिवस




बालदिवस 
सभी बच्चो को बालदिवस कि शुभकामनाये...




 १४ नवंबर १८८९ को हमारे स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का जन्म दिवस हैं 
इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता जी का नाम स्वरूप रानी हैं..
      नेहरू जी को गुलाब के फुल बहुत पसंद हैं , वे बच्चो से भी बहुत प्यार करते हैं .इसलिये सभी बच्चे उन्हें चाचा जी के नाम से बुलाते हैं ...
      चाचा नेहरू जी बच्चो से बहुत प्यार करते थे इसलिये उनके जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में पुरे भारत में बडी धूमधाम से मनाया जाता हैं ...
       इस अवसर पर बच्चे अपने विद्यालय एवं महाविद्यालय में रंगबिरंगे कलात्मक समारोह का आयोजन करते हैं . और  इस तरह से  वे चाचा नेहरू जी का जन्म दिवस मनाते हैं ..





प्रिय बच्चो ,,,,,
तुम हि प्यार हो 
तुम हि विश्वास हो 
तुम हि तो भारत देश का आधार हो 
तुमसे हि आशा हैं 
तुमसे हि अभिलाषा हैं
तुम हि देश का नीव, 
तुम हि इमारत हो 
तुम हि बढता संसार हो ..







शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

Dard दर्द



मुझे पाना चाहती थी वो 
पर मेरी हा का इंतजार करती थी 
पर अधिक इंतजार भी कर ना पाई वो 
मुझसे बेपनाह प्यार जो करती थी 
चाहत कि हद पार कर 
शर्मो - हया को छोडकर 
मेरी बाहो में समा गई
बहते अश्रू से मेरे ह्रदय को भीगा गई 
सांसो में सिसकीया
आंखो में अश्क
कापते होंठ उसके 
मन में कश्मकश 
रुवासा चेहरा 
आंखो में सवाल 
क्यू करवा रहा था ,,, उससे मै इंतजार ?
चाहती थी वो मुझसे इसका जवाब ......
क्या देता जवाब मैं..
मैं तो खुद हि जिंदगी का सवाल था ...
क्युंकी मैं चंद लम्हो का हि मेहमान था ...


just a poem 
read it feel it .....








सोमवार, 7 नवंबर 2011

Mere Papa मेरे पापा

श्री रामसुरत मौर्य..



(ये मेरे बडे पापा हैं...विज्ञान के शिक्षक हैं पर हिंदी विषय में भी रुची रखते हैं...उनकी लिखी कविता ,,,,)


१) सर्वोदय मेरा विद्यालय , भरा हुआ सदभावो से 
    इसमे अच्छी शिक्षा मिलती , गुरुजन जी के राहो से 
    मार्ग प्रदर्शन कर देते हैं , गुरुजन जी ऐसा निष्कंटक 
   दबा हुआ पौधा फिर बढकर , हो जाता हैं पूर्ण प्रगती पर
   फल देता वह इतना अच्छां , गुरुजन जी भी जिसको पाकर 
   नाम अमर कर लेते हैं वें , जीवन में एक दीप जलाकर .....



२) बहुत बडा मेरा परिवार , हमे सभी के प्रती हैं प्यार 
     भारत देश हमारा घर है ,सभी युवक तो भ्रातागण हैं 
     देखो यह कितना सुंदर है ,भारत माता का प्रांगण हैं 
      मेरा घर हैं पूर्ण स्वतंत्र , कभी ना होगा यह परतंत्र 
      चारो ओर हरीतीमा छायी , कुटुंब में नयी हरियाली आई 
      आओ मिलकर खुशिया मनाये , श्रद्धा से हम शिश झुकाये ......
       जय हिंद ....










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