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रविवार, 25 सितंबर 2011

Betiyan बेटीया



आंगन में महकती खुशबू कि तरह
श्रद्धा में वो तुलसी कि तरह 
हसती मुस्कुराती गुडिया कि तरह 
बेटीया तो है सुंदर परियो कि तरह |

छोटी सी मुस्कान लेकर आती है 
नन्हे कदमो से जब वो इठलाती है 
तुत्लाकार जब वो कुछ कहती है
घर में खुशहाली छां जाती है |

छोटी सी बीटीया जब बडी हो जाती है 
बिदाई कि घडी माता - पिता को तड्पाती है |

भिगी आंखो में वो पुरानी यादे आ जाती है 
नन्ही  बीटीया के कदमो कि आहट सुना जाती है 
लब पर दुआये दिल में फरियाद है 
मेरी बीटीया का जीवन सदा आबाद रहे.......|

14 टिप्‍पणियां:

  1. जज्बातों को खूबसूरती से लिखा है .

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  2. रीना मौर्य जी
    सस्नेहाभिवादन !

    मस्त स्माइली और तारों की बरसात के साथ शानदार है आपका ब्लॉग :)
    … और कविता भी

    आंगन में महकती खुशबू की तरह
    श्रद्धा में वो तुलसी की तरह
    हंसती मुस्कुराती गुड़िया की तरह
    बेटियां तो हैं सुंदर परियों की तरह


    बहुत अच्छी भावपूर्ण कविता है

    नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाओं सहित
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं
  3. हसती मुस्कुराती गुडिया कि तरह
    बेटीया तो है सुंदर परियो कि तरह

    सही कहा आपने बेटियाँ तो होती ही बहुत प्यारी हैं पर अफसोस हमारा समाज बेटियों का मोल नहीं समझता है।

    बहुत अच्छा लगा यह कविता पढ़कर।

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. कल 10/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  5. बेटियाँ एक बेहद भावपूर्ण कोमल अहसास.....शुभकामनयें

    जवाब देंहटाएं
  6. बेत्यों की बात और आपके शब्दों की खुशबू ... झील के तल पर किरनो का नृत्य ... हर किरण जैसे पिता के झील से धडकते दिल पे छोटी सी बच्ची हुई लाड जगा रही हो ... बधाई ...

    जवाब देंहटाएं
  7. रीना जी आपकी यह रचना मैंने हमारा हरयाणा ब्लॉग पर साँझा की है

    @ संजय भास्कर

    जवाब देंहटाएं

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