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सोमवार, 22 अगस्त 2011

Aankhe आँखे














मन की आँखों से तुम्हे देखती हु,
तस्वीर की जरुरत नहीं,
तस्वीर तो हमेशा एक ही रूप में सिमट जाएगी,
पर मन की आँखे हर वक़्त तुम्हारी नयी तस्वीर
बनाएगी .



काश वादों का मतलब वो समझ पाते,
नजरे कहती है हजार बाते,
काश ! एक नजर को हमारी वो समझ पाते...



3 टिप्‍पणियां:

  1. ‘मन की आँखों से देखती हूँ तुम्हें
    तस्वीर की ज़रूरत नहीं
    तस्वीर तो एक ही रूप में सिमट जायेगी,
    पर मन की आँखें हर वक़्त तुम्हारी नयी तस्वीर
    बनाएगी!’

    अच्छी लगी यह यह सोच भी! बधाई!

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